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आर्य और काली छड़ी का रहस्य-23

 

    अध्याय-8
    किले में जाने का रास्ता-1
    भाग-1

    
       ★★★
    
    आर्य हिना और आयुध तीनों ही उतर कर किले के बाहरी दरवाजे के पास आ गए। उनके वहां आते-आते अंदर जाने वाले अचार्य अंदर जा चुके थे। हिना ने आते ही किले के लोहे वाले दरवाजे को हाथ लगाया। दरवाजे को हाथ लगाते ही उसे करंट का झटका लगा और वह तुरंत पीछे हट गई।
    
    हिना ने आर्य और आयुध से कहा “आचार्य वर्धन का जादू अभी भी किले पर काम कर रहा है। हम किले के अंदर नहीं जा सकते।”
    
    आयुध बोला “तो हमें तुरंत जाकर आश्रम के बाकी के आचार्यों को आगाह कर देना चाहिए। अगर हम उन्हें जाकर आगाह कर देंगे तो वह आकर इसे पकड़ लेंगे।”
    
    हिना के चेहरे पर मायूसी छाई हुई थी। वह इसी मायुशी के साथ बोली “यह संभव नहीं। मैंने कल ही तुम्हें कहा था कि आश्रम में आश्रम के सुरक्षा चक्र को मजबूत करने के लिए शक्ति मंत्र का उच्चारण हो रहा है। यह पूरे 3 दिन तक होता रहेगा और आज इसका आखरी दिन है। हम किसी भी अचार्य से संपर्क नहीं कर सकते हैं।”
    
    आर्य थोड़ा सा आगे बढ़ा और बोला “क्या तुम दोनों ने इस बात पर ध्यान दिया, आज अंदर जाने वाले आचार्य के पास कल वाली छड़ी नहीं थी। वह दूसरी थी।”
    
    “हां सच, मैं तो इसका जिक्र करना ही भूल गई।”‌ हिना तुरंत प्रतिक्रिया देने लगी “आज वाली छड़ी वो दूसरी छड़ी है जो शैतान के शहंशाह को लाने के लिए चाहिए। मुझे अच्छे से याद है इन दोनों छड़ियों में बस यही फर्क है कि एक के अंदर सफेद और काली रोशनी निकलती है, जबकि एक के अंदर सफेद और लाल। सफेद और काली रोशनी वाली छड़ ज्यादा ताकतवर है, जिसके बारे में कल मैंने तुम्हें बताया था की इसे शैतानी दुनिया में बनाया गया है, और मैंने तुम्हें यह भी बताया था कि इसे काली छड़ी कहा जाता है। जबकि सफेद और लाल रोशनी वाली छड़ काली छड़ी से कम ताकतवर है, क्योंकि इसका निर्माण यहां पृथ्वी पर हुआ था। इस छड़ी को सब मौत की छड़ी कहते हैं क्योंकि इसे बनाने का उद्देश्य शैतानी आत्माओं को मारना था।”
    
    “तुम यहां दो छड़ीयों की बात कर रही हो।” आर्य बोला “पहली छड़ी जोकि काली छड़ी के नाम से जानी जाती है, जबकि दूसरी छड़ी जो की मौत की छड़ी के नाम से जानी जाती है। आखिर इन सब का इतिहास क्या है... और इन्हें किसने बनाया?”
    
    “इतिहास वाली कहानी तो काफी लंबी है।” हिना ने आर्य की बात का जवाब देते हुए कहा “और अभी मेरे पास इतना वक्त नहीं है कि मैं तुम्हें सिलसिलेवार बता सकूं। लेकिन मैं तुम्हें यह जरूर बता सकती हूं कि इन्हें किसने बनाया। काली छड़ी को तो खुद शैतान के शहंशाह ने बनाया था, उसे अपनी ताकत को केंद्रित करने के लिए किसी चीज की आवश्यकता थी, जिसकी कमी शैतानी छड़ी ने पूरी की। जब की मौत की छड़ी को उनके छह सिपेहसालारों ने यहां धरती पर बनाया था। एक समय उनके सभी छह सिपेहसालार यहां अपने कुछ साथियों के विरोध को दबाना चाहते थे। इसके लिए उन्हें अपने साथियों को खत्म करने के लिए एक ऐसी छड़ी की आवश्यकता थी जो शैतानी ताकत को खत्म कर सके। उनकी यह आवश्यकता मौत की छड़ी के निर्माण से पूरी हुई।” 
    
    आर्य ने हिना की पूरी बात सुनी और उसे समझने की कोशिश की। दोनों ही छड़ों का अपना अलग-अलग काम था। और दोनों को बनाने के अलग-अलग कारण थे।
    
    आयुध ने उन दोनों को कहा “अब तुम लोगों की इस तरह की बातों से कोई फायदा नहीं होने वाला। हमारी सारी प्लानिंग धरी की धरी रह गईं। हमने सोचा था हम आचार्य को रंगे हाथों पकड़ लेंगे। कुछ ऐसा सबूत इकट्ठा करेंगे जो हमारी बात के लिए भी प्रमाण बने। मगर यहां तो हमारा किले में जाना ही संभव नहीं हो पा रहा। और बिना किले में जाए यह बात बिल्कुल मायने नहीं रखती की अंदर जाने वाला इस वक्त क्या कर रहा है? इस बात से भी फर्क नहीं पड़ता कि वह आगे आने वाले समय में क्या करेगा?”
    
    आर्य के चेहरे पर भी मायुशी आ रही थी। हिना का चेहरा तो पहले ही हताशा और निराशा से भरा हुआ था। 
    
    आयुध ने इतनी बात कहने के बाद जोर से जमीन पर पैर मारा और बोला “समझ में नहीं आ रहा आखिर अचार्यों को भी इसी वक्त शक्ति मंत्र का जाप करना था। उन्हें कोई और वक्त नहीं मिला। कोई ऐसा वक्त जब हमारे आश्रम का आचार्य गद्दारी ना कर रहा हो। अगर आचार्य होते तो आज हम इसके बारे में उन्हें हाथों-हाथ बता देते हैं। फिर वह उन्हें रंगों हाथ पकड़ लेते हैं।”
    
    यह बात हिना के दिमाग में सुई की तरह चुभी। हिना अपने दिमाग पर उंगली रखते हुए बोली “या फिर अंदर जाने वाले आचार्य ने खुद के लिए यही सही वक्त चुना। हमारे आश्रम में अब से पहले कभी भी शक्ति मंत्र का जाप नहीं हुआ। पिछले कई सालों में कभी भी नहीं। और तब किसी के किले में जाने वाली घटना भी नहीं होती थी। इसका हो ्ना तभी से शुरू हुआ जब शक्ति मंत्र का जाप होने लगा। अंदर जाने वाले आचार्य को भी ऐसा मौका चाहिए था जब आश्रम के दूसरे आचार्य किसी भी तरह से उपलब्ध ना हो।”
    
    “तुम्हारे कहने का मतलब वह इस मौके का फायदा उठा रहे हैं।” आर्य ने हिना को कहा। 
    
    “बिल्कुल फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने जानबूझकर इस समय का चुनाव किया ताकि आश्रम का कोई दूसरा अचार्य उनके काम में दखल अंदाजी ना कर सके। वह आराम से बिना किसी दखल अंदाजी के अपने काम को निपटा सके।”
    
    आर्य किले की तरफ देखने लगा। “तब तो हमारा किले में जाना और भी ज्यादा जरूरी है। आज शक्ति मंत्र का आखरी दिन है, और मेरे ख्याल से आज ही अंदर जाने वाला आचार्य अपने किसी आखिरी काम को अंजाम देगा। हो सकता है किले की आत्माओं को आजाद कर वह दोनों ही छडी़यों को उन्हें सौंप दें। मैं दोनों ही छडींयों का इसलिए कह रहा हूं क्योंकि एक छड़ी को तो वो कल किले में ले गए थे, जबकि एक को आज किले में ले गए हैं।”
    
    “लेकिन आर्य..” हिना बोली “जब तक यहां अचार्य वर्धन का जादू है... तब तक हम लोग इस किले में नहीं जा सकते। फिर अगर किले में चले भी गए तो वहां और भी ज्यादा मुश्किलें हमारा इंतजार कर रही होंगी। जैसे कि किले में अंधेरी आत्माओं को कैद करने के लिए इस्तेमाल किए गए मंत्र। फिर किले के खुद के अपने चक्रव्युह...”
    
    “मगर हमें कुछ तो करना होगा...” आर्य गुस्से में बोला “हम ऐसे हाथ में हाथ धरे यहां खड़े भी तो नहीं रह सकते। कोई ना कोई तो रास्ता होना चाहिए किले में जाने का। कोई और रास्ता। कोई दूसरा रास्ता। कोई तरीका। कुछ तो होना चाहिए जिससे हम किले में जा सके।”
    
    हिना आर्य की बात पर अचानक हैरान होते हुए बोली “क्या कहा तुमने!! किले में जाने का रास्ता। आह..” वह अपने बाल पकड़कर वही चहल कदमी करने लगी। “यह बात मेरे दिमाग में पहले क्यों नहीं आई। मैंने पहले क्यों नहीं इसके बारे में सोचा।”
    
    आयुध ने उसे संकोच के साथ देखा “क्या हुआ... अब इसमें कौन सी अलग बात है। अगर यह बात पहले तुम्हारे दिमाग में आ जाती तो कौन सा कुछ हो जाता।”
    
    “अरे होता पागल..” हिना ने तुरंत आयुध को मोटी आंखों से घुरा “तुम्हें याद है... मैंने आज खाना खाते वक्त तुम्हें पुस्तकालय के बारे में बताया था।” उसने आर्य और आयुध दोनों को एक साथ देखा “मैंने तुम दोनों को ही पुस्तकालय के बारे में बताया था। मैंने बताया था कि पुस्तकालय में ढेर सारी किताबें पड़ी है। ढेर सारी जादुई किताबें।”
    
    “हां हमें यह बात याद है।” आयुध जल्दी से जल्दी हिना को आगे बताने के लिए कह रहा था।
    
    “पुस्तकालय में लगभग हर एक विषय की किताब है। हर एक चीज की किताब है।”
    
    आयुध उत्साहित हो रहा था “तुम जल्दी से बोलो ना। ऐसे रुक रुक कर बोलने की वजह से मेरे दिल की धड़कनें बढ़ रही है।” 
    
    “वहां किले से संबंधित किताब भी है। ऐसी किताब जिसमें किले के बारे में सब कुछ लिखा गया है। उसका पूरा इतिहास। उसके बारे में हर एक चीज। मैंने सुबह सफाई करते वक्त किले के रहस्य शीर्षक वाली किताब देखी थी।”
    
    हिना की आगे की बात को आर्य ने पूरा किया “तब तो उसमें इस बात की जरूर जानकारी होगी के किले में जाने के रास्ते कौन-कौन से हैं। उसमें ऐसे तरीके का जिक्र भी होगा जिससे हम किले में जा सके।”
    
    “बिल्कुल होगा। किले का रहस्य बताने वाली वह किताब एक बड़े ग्रंथ जितनी मोटी है। इतनी मोटी किताब में उसके बारे में काफी कुछ लिखा होगा, और इस काफी कुछ में रास्ते के बारे में भी जानकारी होगी।”
    
    आयुध, हिना और आर्य दोनों से बोला “ मुझे नहीं लगता अब हमें ज्यादा देरी करनी चाहिए। जल्दी से जल्दी पुस्तकालय चलते हैं और वहां उस किताब को पढ़ते हैं। किताब को पढ़कर किले के बारे में जानकारी हासिल करते हैं और उसके अंदर जाने का रास्ता ढूंढते हैं।”
    
    “हां बिल्कुल।” आर्य ने आयुध की बात में सहमति दी। “चलो हिना। पुस्तकालय चलें और वहां जाकर किताब में किले की जानकारी हासिल करें।”
   
    कुछ देर तक मायुश होने के बाद सबके चेहरों पर फिर से एक बार उम्मीद दिखाई देने लगी थी। सबके चेहरों पर खुशी आ गई थी। हल्की तैरती हुई मुस्कान सबके होठों पर थे। हिना ने अपनी मुस्कान को थोड़ा और गहरा किया और बोली “नेकी और पूछ पूछ। चलो अब इस काम को अंजाम दिया जाए, और पता लगाया जाए आखिर हमारे आश्रम का गद्दार आचार्य कौन सा है।”
    
    तीनों ही एक साथ पुस्तकालय की तरफ चल पड़े। 
    
    ★★★
    
    
    
    
    
    
    
    
    

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1 Comments

Rohan Nanda

20-Dec-2021 10:57 PM

Good...

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